Friday 17 April 2020

सुबह और शाम सूरज लाल क्यों दिखाई देता है?

ऐसा प्रकीर्णन यानि स्केटरिंग (Scattering) के कारण होता है।प्रकीर्णन का अर्थ है बिखर जाना ,जैसे यहाँ नीचे वर्णन में प्रकाश के रंग कणों से टकरा कर बिखर जाएंगे!
सूर्य का प्रकाश:-जैसा कि सब जानते हैं कि सूरज की रोशनी 7 रंगों से प्रमुखतः बनी है। जिसे हम VIBGYOR/बेनीआहपीनाला फॉर्मूला के मार्फत याद रखते हैं
Violet. बैंगनी
Indigo नीला 
Blue आसमानी
Green हरा
Yellow पीला
Orange नारंगी
Red लाल
इनमें बैगनी रंग (violet) के तरंगों की लंबाई(वैज्ञानिक शब्दावली में तरंग दैर्ध्य=(Wave length) सबसे कम 380 नैनोमीटर होती है और लाल रंग की सबसे ज्यादा 700 नैनोमीटर,
अब ये भौतिकी का नियम है कि, कम लंबाई वाले रंग जैसे बैंगनी का बिखराव (Scattering ) सबसे ज्यादा होता है,और लाल का सबसे कम, मज़ाक में यूँ समझ लें ज्यादा तरंग लम्बाई के कारण लाल रंग आलसी होता है जो फैलता नहीं!

 सुबह शाम को :-सुबह और शाम के समय सूर्य जमीन के बिल्कुल करीब होता है तो उसकी रोशनी को घने वायुमंडल से बहुत लंबे समय तक गुजरना होता तो, बैगनी रंग का बिखराव , लाल की तुलना में 12 गुणा अधिक होता है,बैंगनी रंग और ऐसा जैसे अन्य को  घने वायुमण्डलीय कण  बिखेर देते और  इन रंगों को अदृश्य कर देते हैं जबकि  सूर्य के प्रकाश में केवल लाल रंग ही बचा रह जाता है - इसीलिए सूरज लाल रंग का नज़र आता है।
रोचक बातें:-1.हकीकत में जो रंग नज़र आता है वो लाल और नारंगी रंग का समिश्रण होता है ।
 2  दोपहर की बजाय सुबह और शाम सूर्य रश्मियों को  जमीन के नजदीक के घने वायु से 40 गुणा ज्यादा देर के लिए गुजरना होता है 

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