1995 से हर 23 अप्रैल को यूनेस्को ने विश्व पुस्तक दिवस मनाना शुरू किया ,23 अप्रैल यह किसी महापुरुष के जन्म दिवस नहीं बल्कि विश्व के 3 महान लेखकों के की मृत्यु आज के दिन हुए! इन तीनों लेखकों में से एक स्पेनिश लेखक और एक पेरू का 'इंका गार्सिलोस' ( दक्षिण अमेरिका के पेरू की इंका सभ्यता,संस्कृति का महान वर्णन कर्त्ता') और तीसरा विश्व विख्यात उपन्यासकार ,
नाटककार शेक्सपियर शामिल है
शेक्सपियर के नाटक, जहां भारत की विभिन्न भाषाओं में अनुवादित हो चुके हैं वहीं बॉलीवुड को भी शेक्सपियर के नाटकों से गहरी प्रेरणा मिलती रही है शेक्सपियर के नाटकों पर बहुत सी फिल्में 'ओमकारा' 'मकबूल' और 'हैदर आदि बनाई हैं |
शेक्सपियर के दो प्रसिद्ध नाटक 'मैकबेथ' और 'ओथेलो पर आधारित दो बॉलीवुड फिल्म मकबूल और ओमकारा की फिल्म आलोचकों ने बड़ी प्रशंसा की है, यह बॉलीवुड वालों की सृजनात्मकता ही है कि यूरोप के काल्पनिक और वास्तविक पात्रों को भारतीय वातावरण में डाल प्रस्तुत किया बस भारतीयों के दुखांत नाटक प्रिय नहीं होते उन्हें सदैव सुखांत कहानी अच्छे लगते हैं
मैकबेथ की कहानी के मुताबिक मैकबेथ एक राजा का बहादुर सेनापति था और 3 चुड़ैलों की की भविष्यवाणी (मैकबेथ एक दिन राजा बनेगा )उससे राजा समेत अनेक लोगों की अंधाधुंध हत्याएं करवाकर दी और मैकबेथ राजा बन गया, लेकिन अंत में मैकबेथ का भी यही हश्र होता है और बॉलीवुड में मैकबेथ बन गया 'मकबूल' जो एक डॉन 'अब्बा जी का का आदमी था ,मकबूल फिल्म में तीन चुड़ैलों की जगह भ्रष्ट पुलिस वाले थे, जिनकी भविष्यवाणी और हौसला अफजाई से मकबूल ने अपने बॉस अब्बा जी का कत्ल किया और अंडरवर्ल्ड का बादशाह बन गया लेकिन अंत में पुलिस वालों की साजिशों से ही मकबूल विरोधी गैंग वालों के हाथ मारा जाता है !
इसी तरह विश्व प्रसिद्ध नाटक 'ओथेलो 'जिसमें निम्न वर्ग मूर का ओथेलो एक बड़े वर्ग की से विवाह तो कर लेता है ,लेकिन कान का कच्चा ओथेलो अपने साथी सैनिक इयागो की बातों में आकर अपने आखिर में पत्नी की हत्या कर देता है, इयागो ने सिर्फ यही कहा था कि 'जो अपने पिता से धोखा कर सकती है वह तुझसे भी धोखा कर सकती' और मानसिक रूप से परेशान होकर ओथेलो अपनी पत्नी की हत्या कर देता है,नाटक दुखांत में संपन्न होता है| फिल्म ओमकारा में ओथेलो की जगह ओमकारा है जो पिता से एक तरह का धोखा करने वाली लड़की से उसका विवाह तो हो जाता है, लेकिन ओमकारा से जलने वाला ईश्वर लंगड़ा यहां उसके कान भरता है और ओंकारा अपने खूबसूरत जिंदगी अपनी पत्नी को मार कर अपने सुंदर जीवन को तबाह कर देता है
शेक्सपियर के नाटक उस समय के राजनीतिक घराने के संस्कृति समाज हमारे सामने ला देते हैं| पुस्तकें सिर्फ कागज के चंद टुकड़े नहीं बल्कि जीवन को अनेक भाव अनुभूतियां ज्ञान मार्गदर्शन प्रदान करने वाले प्रकाश की किरणें होती हैं, किसी ने सच कहा है किसी व्यक्ति के पुस्तकालय की पुस्तकों में उस व्यक्ति के व्यक्तित्व के दर्शन होते हैं!
नाटककार शेक्सपियर शामिल है
शेक्सपियर के नाटक, जहां भारत की विभिन्न भाषाओं में अनुवादित हो चुके हैं वहीं बॉलीवुड को भी शेक्सपियर के नाटकों से गहरी प्रेरणा मिलती रही है शेक्सपियर के नाटकों पर बहुत सी फिल्में 'ओमकारा' 'मकबूल' और 'हैदर आदि बनाई हैं |
शेक्सपियर के दो प्रसिद्ध नाटक 'मैकबेथ' और 'ओथेलो पर आधारित दो बॉलीवुड फिल्म मकबूल और ओमकारा की फिल्म आलोचकों ने बड़ी प्रशंसा की है, यह बॉलीवुड वालों की सृजनात्मकता ही है कि यूरोप के काल्पनिक और वास्तविक पात्रों को भारतीय वातावरण में डाल प्रस्तुत किया बस भारतीयों के दुखांत नाटक प्रिय नहीं होते उन्हें सदैव सुखांत कहानी अच्छे लगते हैं
मैकबेथ की कहानी के मुताबिक मैकबेथ एक राजा का बहादुर सेनापति था और 3 चुड़ैलों की की भविष्यवाणी (मैकबेथ एक दिन राजा बनेगा )उससे राजा समेत अनेक लोगों की अंधाधुंध हत्याएं करवाकर दी और मैकबेथ राजा बन गया, लेकिन अंत में मैकबेथ का भी यही हश्र होता है और बॉलीवुड में मैकबेथ बन गया 'मकबूल' जो एक डॉन 'अब्बा जी का का आदमी था ,मकबूल फिल्म में तीन चुड़ैलों की जगह भ्रष्ट पुलिस वाले थे, जिनकी भविष्यवाणी और हौसला अफजाई से मकबूल ने अपने बॉस अब्बा जी का कत्ल किया और अंडरवर्ल्ड का बादशाह बन गया लेकिन अंत में पुलिस वालों की साजिशों से ही मकबूल विरोधी गैंग वालों के हाथ मारा जाता है !
इसी तरह विश्व प्रसिद्ध नाटक 'ओथेलो 'जिसमें निम्न वर्ग मूर का ओथेलो एक बड़े वर्ग की से विवाह तो कर लेता है ,लेकिन कान का कच्चा ओथेलो अपने साथी सैनिक इयागो की बातों में आकर अपने आखिर में पत्नी की हत्या कर देता है, इयागो ने सिर्फ यही कहा था कि 'जो अपने पिता से धोखा कर सकती है वह तुझसे भी धोखा कर सकती' और मानसिक रूप से परेशान होकर ओथेलो अपनी पत्नी की हत्या कर देता है,नाटक दुखांत में संपन्न होता है| फिल्म ओमकारा में ओथेलो की जगह ओमकारा है जो पिता से एक तरह का धोखा करने वाली लड़की से उसका विवाह तो हो जाता है, लेकिन ओमकारा से जलने वाला ईश्वर लंगड़ा यहां उसके कान भरता है और ओंकारा अपने खूबसूरत जिंदगी अपनी पत्नी को मार कर अपने सुंदर जीवन को तबाह कर देता है
शेक्सपियर के नाटक उस समय के राजनीतिक घराने के संस्कृति समाज हमारे सामने ला देते हैं| पुस्तकें सिर्फ कागज के चंद टुकड़े नहीं बल्कि जीवन को अनेक भाव अनुभूतियां ज्ञान मार्गदर्शन प्रदान करने वाले प्रकाश की किरणें होती हैं, किसी ने सच कहा है किसी व्यक्ति के पुस्तकालय की पुस्तकों में उस व्यक्ति के व्यक्तित्व के दर्शन होते हैं!
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