फ्लोराइड क्या है और यह कहाँ पाया जाता है
फ्लोराइड नाम उस यौगिक समूह को दिया गया है जो फ्लोरीन से बने प्राकृतिक तत्व होते हैं। फ्लोराइड पानी और मिट्टी में विभिन्न स्तरों पर मौजूद होते हैं।
फ्लोराइड पानी में पाया जाने वाला एक तत्व है जिसकी एक उचित मात्रा शरीर के लिए जरूरी है लेकिन अधिक मात्रा शरीर में कई तरह के रोग पैदा कर सकती है।
■ज़्यादा से नुक़सान:-
जल प्रदूषण में एक प्रमुख तत्व है फ्लोराइड देश के कई हिस्सों के भूजल में फ्लोराइड पाया जाता है। फ्लोराइड युक्त जल लगातार पीने से फ्लोरोसिस नाम की बीमारी होती है। इससे हड्डियां टेढ़ी, खोखली और कमजोर होने लगती है।

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फ्लोराइड के नुकसान
यह धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी में जमा होने लगता है। जिससे हमारी सामान्य दैनिक क्रियाएं भी प्रभावित होने लगती है। अपने पीने के जल स्रोतों को समय-समय पर परिक्षण कराते रहना चाहिए। इसमें किसी भी तरह का प्रदूषण घातक होगा।

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कितना जरूरी है फ्लोराइड
आप जो पानी हैंडपंप, बोरवेल एवं गहरे पारंपरिक कुएं-बावड़ियों से ले रहे हैं, इनका पानी दिखने में साफ दिखाई देता हो, परंतु इनमें न दिखाई देने वाला "विषैला" रसायन फ्लोराइड हो सकता है। जब इसकी मात्रा पीने के पानी में 1 या 1.5 पीपीएम से अधिक हो, तो लंबी अवधि तक इसका सेवन करने पर यह किसी भी उम्र के स्त्री-पुरुष को अपने घातक असर का शिकार बना लेता है।

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कैसे नुकसान पहुंचाता है
फ्लोराइड जल एवं भोजन के माध्यम से शरीर में प्रवेश होने पर रक्त परिवहन तंत्र द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंच कर धीरे-धीरे इनमें जमने लगता है। यह मां और गर्भस्थ शिशु के बीच स्थित दीवार को भी आसानी से भेद सकता है। यह लिंगभेद नहीं करता और साथ ही उन अंगों को ज्यादा प्रभावित करता है, जिनमें कैल्शियम तत्व की बहुलता हो।

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फ्लोराइड की पहचान
इसके विषैले प्रभाव दांतों एवं हडि्डयों में पहले एवं तेज गति से देखने को मिलते हैं। दांतों पर पड़ी हल्की गहरी आड़ी धारियां एवं धब्बे फ्लोराइड की पहचान है। इसके असर से हडि्डयां खोखली और कमजोर होने से टेढ़ी-मेढ़ी होने लगती हैं।

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लक्षण
फ्लोराइड युक्त क्षेत्रों में बसे लोगों में पेट दर्द, गैस बनना, डायरिया जैसी शिकायतें आमतौर पर पाई जाती है। इनमें भोजन के प्रति रूचि भी कम हो जाती है। फ्लोराइड भोजन नली की आंतरिक दीवार को धीरे-धीरे हानि अथवा क्षति पहुंचाता है। इस कारण पाचन क्रिया प्रभावित होती है।

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मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है
यह अति संवेदनशील एवं सक्रिय अंग मस्तिष्क की तंत्रिकाओं (न्यूरोंस) को तोड़ने एवं नष्ट करने की क्षमता रखता है। इस वजह से मनुष्य की सक्रियता एवं दैनिक क्रियाएं प्रभावित और अनियंत्रित होने लगती हैं जैसे पेशाब पर नियंत्रण खोना, व्यक्ति का सुस्त होना।

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*फ्लोराइड की कमी भीं नहीं होनी चाहिए* दांतो को नुकसान
फ्लोराइड की कमी से दांतों का एनामल अर्थात दांतों की बाहरी परत कमजोर हो जाती है और इनमें कैविटी होने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं दूसरी ओर इसकी अधिकता से दांतों पर धब्बे पड़ जाते है, जिनको किसी भी तरीके से साफ नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये धब्बे एनामल के अंदर तक ही मौजूद होते हैं।
कैसे पूरी करें फ्लोराइड की कमी
हर उम्र के लोगों को फ्लोराइड जरूरत पड़ती है यदि उनके पीने के पानी में पर्याप्त मात्रा में फ्लोराइड नहीं होता। ऐसे में न सिर्फ बच्चों को बल्कि वयस्कों को भी फ्लोराइड युक्त टूथ पेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन बच्चों को बहुत ज्यादा फ्लोराइड युक्त टूथ पेस्ट नहीं करने देना चाहिए अन्यथा उन्हें फ्लोरोसिस हो सकता है।

पानी का परीक्षण करें
पीने के पानी के स्रोतों के जल में जल विभाग अथवा जल रसायन परीक्षण प्रयोगशाला से फ्लोराइड की उपस्थिति एवं इसकी मात्रा की जांच करवाएं। फ्लोराइड होने पर इन स्रोतों पर डिफ्लोराइडेशन प्लांट लगवाना चाहिए। भोजन में पत्तेदार हरी सब्जियां, दूध-दही, नीबू, आंवला, हरी फलियां इत्यादि का समावेश करें।
राजस्थान में फ्लोराइड :-
सर्वाधिक वाले ज़िले
भूजल में अधिक फ्लोराइड की स्थिति के आधार पर प्रथम स्थान पर *
नागौर* एवं इसके 771 गांव, द्वितीय स्थान पर जयपुर एवं इसके 717 गांव तथा तृतीय, चतुर्थ एवं छठे स्थान पर क्रमशः बॉसवाड़ा, भीलवाड़ा, बाड़मेर एवं टोंक जिले हैं।
राजस्थान में निम्न फ्लोराइड वाले ज़िले:-
झालावाड़ जिले के 256 गांवों के भूजल में निम्न फ्लोराइड है, अतः झालवाड़ा प्रथम स्थान पर है। द्वितीय स्थान पर बारां है, जहां 192 गांवों में निम्न फ्लोराइड की समस्या है।